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कबीर दास जी के दोहे


कहे कबीर कैसे निबाहे, केर-बेर को संग
वह झूमत रस आपनी, उसके फाटत अंग

अर्थ :

कबीर दास जी कहते हैं कि भिन्न-भिन्न प्रकृति के लोग एक साथ नहीं रह सकते। उदाहरण के लिए केले और बेर के पेड़ साथ नहीं उग सकते क्योंकि जब हवा से बेर का पेड़ हिलेगा तो उसके काँटों से केले के पत्ते नष्ट हो जायेंगे।

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